Tuesday 8 May 2012

सुगन आहूजा (Sugan Ahuja) का सॉनेट


माँ और बेटा : सुगन आहूजा 

माँ और बेटे के प्यार के बीच पिता..  सुगन आहूजा के इस सॉनेट की लयात्मकता बनाए रखने की मैंने कोशिश की है.  









मार खाकर माँ की, बेटा एक कोने में रोता रहा
उसकी माँ को डांटकर, मैं बेटे को गया दुलारने. 
प्यार किया जैसे ही, उसने हाथ पर काट खाया
छुड़ाकर खुद को, उसी जगह बैठ लगा फिर रोने .

उसका चलन, मेरी शान में गुस्ताखी , वह सह न पाई 
जोश और गुस्से से, आकर एक चांटा उसको जड़ा.
मेरे रोकने से रुकी, झगड़ा मुझ ही से करने लगी 
माँ बेटे का यह झगड़ा, बेटा चुप देखता रहा खौफ़ज़दा.

देर से उस रात, हम सभी सोये दूर दूर अलग
कुछ आवाज़ हुई आधी रात, और मैं जाग उठा. 
सरक आया था बेटा, सोने, माँ के गले लगकर 
कि सुबकती माँ ने भी उसे कसके सीने लगा लिया.

अब मैं समझा कि माँ बेटे का अपना एक जम्हूर है
और किसी भी तीसरे का दख़ल उन्हें नामंजूर है.

(अनुवाद : विम्मी सदारंगानी)


सुगन आहूजा (भारत) : १.१२.१९२१ को जन्मे सुगन आहूजा का जीवन सिर्फ चालीस वर्ष का (निधन फरवरी १९६० में) रहा पर इस छोटे से जीवन में उनकी क़लम खूब चली. उनका पहला कहानी संग्रह 'ऐश जी कीमत' १९६० में और दूसरा 'अरमान' १९६८ में प्रकाशित हुआ. एक ही काव्य संग्रह 'बे आग जलन था परवाना' १९६७ में छपा और एकमात्र उपन्यास 'कँवल जागी उथ्या' १९६८ में. नारायण श्याम की 'रूप माया' पर की गई उनकी विस्तृत आलोचना अब भी याद की जाती है. 


6 comments:

  1. wah.. jabardast...!
    अब मैं समझा कि माँ बेटे का अपना एक जम्हूर है
    और किसी भी तीसरे का दख़ल उन्हें नामंजूर है
    bahut khoobsurat.. ekdam sahi...
    sindhi ke rachnakaron se milvane ke liye shukriya Vimmi

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  2. bahut shukriya Chittaranjan :) mai bhi to in sabse phir mil rahi hoon..

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  3. Vimmi ji, greetings !!!
    Loved the way you are working to promote and preserve Sindi Poetry. A wonderful Blog!!!

    And the creation by Sujan Ahuja (above) is touching one.
    It is able to depict the relationship between a child and his/her mother.

    देर से उस रात, हम सभी सोये दूर दूर अलग
    कुछ आवाज़ हुई आधी रात, और मैं जाग उठा.
    सरक आया था बेटा, सोने, माँ के गले लगकर
    कि सुबकती माँ ने भी उसे कसके सीने लगा लिया.

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  4. अब मैं समझा कि माँ बेटे का अपना एक जम्हूर है
    सच में...
    बहुत अच्छी कविता!!

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