Sunday 6 May 2012

इंद्र भोजवानी की कविता


तनहा :  इंद्र भोजवानी 










१. तरक्की क्रिमिनल कोड की, सभ्यता का विकास.
२. लीडर अरेस्ट, कम्प्लीट रेस्ट.
३. शेर और बकरी साथ, बिठाये मेज़ पर बच्चे ने.
४. शब्दकोश भण्डार, नैनों की भाषा कहाँ!
५. मन को मारूँ  इक चाबुक, वह मारता हज़ार.
६. आंसुओं की कद्र हो कैसे, खारा पानी हैं.
७. आसमान की स्लेट पर, युगों से वही पाठ.
8. घर में चाँद आता नहीं, दिया ही देता साथ.
९. ज़िन्दगी का टोस्ट, अभी तो है अधपका.
१०. हर गोली की आवाज़, सुनाती है 'हे राम'.

तनहा : काव्य रूप. एक पंक्ति की कविता. दोहे की १३-११ मात्रा /  बहर वज़न पर. तनहा लिखने वालों में  इंद्र भोजवानी, हरी दिलगीर और सतीश रोहरा प्रमुख. सतीश रोहरा का तनहा संग्रह 'तनहा' प्रकाशित. 

इंद्र भोजवानी (भारत) : जन्म - कराची १९१८. देहांत - अहमदाबाद १९९२. काव्य संग्रह - पिरह बाखूं कढियूं (१९६३), बिजलियूँ थियूं बरसन (१९७०). इल्म ए अरूज़ पर भी एक पुस्तक.   


तस्वीर : 'अफगानी लड़की' बशुक्रिया नेशनल ज्योग्राफ़िक. 

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