Wednesday 2 May 2012

अतिया दाऊद की कविता


'अ' से 'अनार' और 'अ' से 'अतिया' भी :) और इसलिए इस ब्लॉग की शुरुआत 'अतिया दाऊद' से.. 

अपनी बेटी के नाम : अतिया दाऊद














तुझे 'कारी' कहकर मार दें
मर जाना 
पर प्यार ज़रूर करना..

शराफत के शोकेस में 
नकाब डालकर मत बैठना,
ज़रूर प्यार करना..

ख़्वाहिशों के रेगिस्तान में 
थूहर के जैसी मत रहना
ज़रूर प्यार करना..

गर किसी की याद तेरे दिल में 
धीमे धीमे दबे पाँव चली आए,
मुस्कुरा देना
ज़रूर प्यार करना..

क्या करेंगे वे? बस तुझे संगसार करेंगे
जीवन पल तू जीना
ज़रूर प्यार करना..

तेरे प्यार को गुनाह भी कहा जाएगा
तो क्या हुआ?
सह लेना..
प्यार ज़रूर करना..

*कारी - सिंध में प्रचलित कारो-कारी (honour killing) की कुप्रथा. 






'कारो कारी' के लिए दहरकी, सक्खर में अलग क़ब्रिस्तान!
http://tribune.com.pk/story/315712/honour-killings-in-sukkur-a-separate-graveyard-for-the-dishonourable-ones/


अतिया दाऊद :  सुप्रसिद्ध सिन्धी कवि शेख अयाज़ ने इन्हें 'सबसे अहम सिन्धी फेमिनिस्ट लेखिका' माना है.  पाकिस्तानी समाज में परम्परा के नाम पर घुटती सिन्धी स्त्री के रूदन और चीख को अतिया ने मानो आवाज़ दी है. महिला सशक्तिकरण, समान अधिकार के लिए सक्रिय कार्य करने वाली अतिया की कविताओं और लेखों की छह किताबें प्रकाशित हैं. अतिया की आत्मकथा 'आईने के सामने' राजकमल प्रकाशन दिल्ली (२००४) में और इसी शीर्षक से उर्दू में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, कराची (२००९) द्वारा प्रकाशित की गई है. भारतीय संस्था 'अखिल भारत सिन्धी बोली और साहित्य सभा' ने अतिया को 'सिन्धी अदीब अवार्ड' से सम्मानित किया है.

1 comment:

  1. Vimmi
    Congratulations This is wonderful treasure that needs to be treasured

    ReplyDelete