Wednesday 2 May 2012

सतीश रोहरा की कविता


गीता,  कुरान और बाइबल : सतीश रोहरा 

















गीता

मुझे पसंद है

क्योंकि गीता 

अपनों को मारना धर्म समझती है

(और ऐसा बहाना तलाशना कठिन नहीं है

जिस से किसी को अन्यायी कहा जा सके!)


मुझे कुरान पसंद है

कुरान

चार पत्नियों की इजाज़त देता है 

और आज का क़ानून 

एक से आगे बढ़ने नहीं देता

(वैसे रखी एक से अधिक जा सकती हैं)


मुझे बाइबल भी पसंद है

बाइबल 

अपमान करने वाले को 

माफ़ करने की सलाह देती है

(इस तरह 'बॉस' द्वारा की गई

बेईज्ज़ती बर्दाश्त करते हुए मुस्कुराया जा सकता है)


गीता मैंने अपने दायें हाथ में रखी है

चोट दायें हाथ से पहुंचाई जाती है.


कुरान मैंने अपने बायें हाथ में रखी है

पत्नि को बाईं ओर बिठाया जाता है.


बाइबल मेरे झुके हुए सिर पर रखी हुई है 

नौकर का फ़र्ज़ सिर झुकाकर खड़े रहना है.


(सिन्धी से अनुवाद : विम्मी सदारंगानी) 


सतीश रोहरा (भारत) : जन्म - १५ अगस्त १९२९. लेखक, भाषाविद और आलोचक. २००४ में 'कविता खां कविता ताईं' (कविता से कविता तक) पर साहित्य अकादमी पुरूस्कार . 

2 comments:

  1. (इस तरह 'बॉस' द्वारा की गई

    बेईज्ज़ती बर्दाश्त करते हुए मुस्कुराया जा सकता है)
    Loved Dr. Satish Rohra's Poem.
    Dr. Sahar Shah

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  2. Shukriya Sahar Di.. I am glad that you read Hindi also :)

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