आज एक सिन्धी बालगीत, अनुवाद और विडियो सहित. 'सो डेम्बो, सो डेम्बो', 'जो खीर पिए, सो वीर थिए', 'वाह रे तारा' जैसे कई बालगीत हैं जो गुदगुदाते हैं, कुछ न कुछ अच्छा सिखाते हैं. हम भी जब बच्चे थे तो बार-बार गाया करते थे. ऐसा ही एक गीत है 'पैसो लधुम पट तां'. एक कड़ी से दूसरी कड़ी जुडती जाती है. जितना आगे बढ़ाना चाहो, बढ़ाते जाओ..
मूल सिन्धी गीत :
पैसे वर्तुम गाहु.
गाहु डिनुम गाइँ खे
गाइँ डिनो खीर.
खीर डिनुम अम्मां खे
अम्मां डिनो लोलो.
लोलो डिनुम कांव खे
कांव डिनो खंभु.
खंभु डिनुम राजा खे
राजा डिनो घोड़ो.
चढ़ी घुम, चढ़ी घुम चन्दन फटाको
जिए मुहिंजो काको.
काको वेठो माड़ी-अ ते
विछूं लगुस दाढ़ी-अ ते.
अम्मां वेठी मूढ़े ते
गुल हणास जूडे ते.
हिंदी अनुवाद :
इक पैसा मिला ज़मीन से
पैसे से ली मैंने घास.
घास दी गाय को
गाय ने दिया दूध.
दूध दिया मैंने अम्मां को
अम्मां ने दिया 'लोला'.
'लोला' दिया कौवे को
कौवे ने दिया पंख.
पंख दिया मैंने राजा को
राजा ने दिया घोड़ा.
चढ़ घूमूं, चढ़ घूमूं, चन्दन पटाखा
जियें मेरे काका.
काका बैठे छज्जे पर
बिच्छू ने काटा उनकी दाढ़ी पर.
अम्मां बैठी मूढ़े पर
फूल लगाऊं उनके जूड़े पर.
लोला - मोटी-सी मीठी रोटी, जिसे गुड या शक्कर के पानी से बनाया जाता है, खूब मोयन डालकर.
अनुवाद : विम्मी सदारंगानी
video song courtesy : Ms. Koshi Lalvani
बहुत अच्छी कविता. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता याद आ गई:
ReplyDeleteघन्त मन्त दुई कौड़ी पावा
कौड़ी लै के दिल्ली आवा,
दिल्ली हम का चाकर कीन्ह
दिल दिमाग भूसा भर दीन्ह,
भूसा ले हम शेर बनावा
ओह से एक दुकान चलावा,
देख दुकान सब किहिन प्रणाम
नेता बनेन कमाएन नाम,
नाम दिहिस संसद में सीट
ओह पर बैट के कीन्हा बीट,
बीट देख छाई खुशिहाली
जनता हंसेसि बजाइस ताली,
ताली से ऐसी मति फिरी
पुरानी दीवार उठी
नई दीवार गिरी।
:) बहुत शुक्रिया मनोज पटेल जी. एक बड़ा शुक्रिया सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी की यह कविता सुनाने के लिए भी :)
Deleteही बाल गीत असां पहिंजी वेब ते प्रकाशित कयो , इनजे लाय तंवाखे धन्यवाद .
ReplyDeletehttp://news-marrysindhi.blogspot.in/2013/05/blog-post_14.html
Ashwani kumar.